देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
Stotram is definitely the track. The Tune of Perfection that's not concealed as a consequence of progress. That's, our spiritual advancement and comprehension of the Chandi exposes the hidden meanings of the bija mantras from the Tune.
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति ।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु ॥ १० ॥
न कवचं नार्गला-स्तोत्रं, कीलकं न रहस्यकम्।
यस्तु कुंजिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत् ।
श्रृणु देवि ! प्रवक्ष्यामि, कुंजिका स्तोत्रमुत्तमम्।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः
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